Jharkhand audyogik niti: झारखंड राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने एवं झारखंड में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर औद्योगिक नीति में परिवर्तन किया जा रहा है ताकि झारखंड राज्य में अत्यधिक उद्योगों को स्थापित किया जा सके एवं झारखंड राज्य में निवास करने वाले युवकों को रोजगार से जोड़ा जा सके और झारखंड राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो सके.
झारखंड के औद्योगिक नीति 2001 (Jharkhand audyogik niti 2001)
Jharkhand audyogik niti 2001: झारखंड निर्माण 15 नवंबर 2000 ई. के बाद झारखंड में पहली बार झारखंड की औद्योगिक नीति की घोषणा वर्ष 2001 में की गई. ताकि झारखंड में अत्यधिक रोजगार का सृजन किया जा सके, और झारखंड के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके. झारखंड राज्य में बेरोजगारी दूर करने के लिए झारखंड औद्योगिक नीति 2001 की स्थापना के बाद राज्य में मेगा उद्योग, मध्यम उद्योग, लघु उद्योग, एवं वृहद उद्योग की स्थापना तीव्र गति से होने लगी, जिसके परिणाम स्वरूप झारखंड राज्य में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि हुई.
झारखंड की नई औद्योगिक नीति 2001 को सफल क्रियान्वयन बनाने में राज्य की रांची औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण एवं बोकारो औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण जैसे संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
झारखंड राज्य की नई औद्योगिक नीति 2001 की सफल क्रियान्वयन के परिणाम स्वरूप राज्य सरकार को झारखंड के नई औद्योगिक नीति 2001 में परिवर्तन या संशोधन करते हुए झारखंड की औद्योगिक नीति 2012 की घोषणा किया और इसे अगले 5 वर्षों के लिए किया क्रियान्वित किया गया.
झारखंड औद्योगिक नीति 2001 का उद्देश्य
Jharkhand audyogik niti 2001: झारखंड औद्योगिक नीति 2001 का मुख्य उद्देश्य राज्य के आधारभूत संरचनाओं का विकास करना, पूंजी निवेश को बढ़ावा देना, तथा राज्य में बढ़ रही बेरोजगारी को कम करना है. झारखंड औद्योगिक नीति 2001 के अनुसार झारखंड में विकास दर को बढ़ावा देने के लिए झारखंड में 10% विकास दर का लक्ष्य रखा गया था.
इस उद्योग नीति का उद्देश्य राज्य में एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना था.
झारखंड औद्योगिक नीति 2012 (Jharkhand audyogik niti 2012)
Jharkhand audyogik niti 2012: झारखंड सरकार ने औद्योगिक नीति 2001 के सफल क्रियान्वयन के परिणाम स्वरूप राज्य सरकार ने औद्योगिक नीति 2001 में परिवर्तन करते हुए झारखंड नई औद्योगिक नीति 2012 की घोषणा की, इस औद्योगिक नीति का कार्यान्वयन 5 वर्षों के लिए किया गया.
झारखंड सरकार ने औद्योगिक नीति 2012 को सफल एवं सुनिश्चित क्रियान्वयन के लिए झारखंड की औद्योगिक नीति 2012 में कुल 16 नीतियों को चिन्हित किया गया है.
झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 (Jharkhand audyogik niti 2016)
Jharkhand audyogik niti 2016: झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति की घोषणा वर्ष 2016 में किया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य झारखंड राज्य में सतत औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहन प्रदान करना है एवं औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है.
झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 (Jharkhand audyogik niti 2021)
Jharkhand audyogik niti 2021: झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021, को 1 अप्रैल 2021 में अधिसूचित किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देना एवं झारखंड राज्य के युवकों को रोजगार से जोड़ना है. झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पेस की है.
PROJECT 2
क्षेत्रों की खोज करती है। शिक्षा ही उत्पादन की नवीण सरल अच्छी व सुविधाजनक प्रविधियों को विकसित करती है। शिक्षा के द्वारा नवीण उपकरणों का अविष्कार होता है। शिक्षा द्वारा किए जाने वाले उपर्युक्त सभी कार्यों से व्यक्ति तथा समाज की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
शिक्षा एक ऐसा साधन है जो राष्ट्र की समाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में एक जीवंत भुमिका निभा सकता है। यह नागरिकों की विश्लेशन क्षमता सहित उनका सशक्तीकरण करता है, उनके आत्म विश्वास का स्तर बेहतर बनाता है और उन्हें शक्ति से परिपूर्ण करता है एवं दक्षता बढ़ाने के लक्ष्य तय करता है। शिक्षा में केवल पाठ्यपुस्तकें सीखना शामिल नहीं है बल्कि इसमें मूल्यों कौशलों तथा क्षमताओं में भी वृद्धि की जाती है। ऐसे माहौल में, महिला के रोजगार का स्तर बहुत महत्व रखता है और यह अनेक कारकों पर निर्भर करता है। इनमें सर्वप्रथम कौशल विकास के लिए शिक्षा एवं अन्य अवसरों का समान रुप से उपलब्ध होना है
ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला शिक्षा अति आवश्यक माना जाता है, क्योंकि एक शिक्षित महिला से ही परिवार, समाज और देश के विकास की आशा की जा सकती है। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की अधिकांश जनता गांवों में निवास करती है। गाँव में महिला शिक्षा को अनावश्यक समझा जाता है। क्योंकि पुरुष वर्ग को यह चिंता सताये रहती हैं कि यदि महिला पढ़-लिखकर अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो गयी, तो वह उसके हाथों की कठपुतली नहीं होगी और उसकी स्वतंत्रा और एकाधिकार पर दसका अधिपत्य हो जायेगा । लेकिन वे नहीं समझते कि महिला शिक्षा पूरे परिवार की शिक्षा होती है। ” शिक्षित और समझदार ” स्त्री ही अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा सही अर्थों में कर पाती है। कोई समाज तब तक विकसित नहीं हो सकता है, जब तक उसमें महिला शिक्षा को पुरूष शिक्षा के समतुल्य नहीं बनाया जाता। भारतीय समाज में फैली कुरीतियों एवं धार्मिक आडंबरों ने महिला शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण को इतना दूषित और गंदा किया है जिसके परिणाम स्वरुप लड़कियों को बोझ समझकर उससे छुटकारा पाने के लिए उसका विवाह कम उम्र में कर देते है परिणाम स्वरुप अशिक्षित होने के कारण लड़की बच्चों का ठीक से पालन-पोषण नहीं कर पाती और पारिवारिक दबाव में घुट-घुटकर जीने को विवश हो जाती है। अशिक्षा अनेक पापों की जननी है, अतः लड़कियों की शिक्षा में किसी प्रकार बाधाएं न आये ताकि उनकों बीच में शिक्षा छोड़नी पड़े, इसके जिए महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है शिक्षित बालिकाएं ही शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकती हैं, शिक्षित महिला ही परिवार, समाज और देश का समग्र विकास कर देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर कर सकती हैं और अपने ऊपर सदियों से किये जा रहे अत्याचार, शोषण, असमानता, अन्याय एवं अनैतिक कार्यों का डटकर मुकाबला कर सकती है। महिला शिक्षा को बढ़ावा देकर ही ग्रामीण विकास का सपना साकार किया जा सकता है।
महिला शिक्षा का महत्व :-
शिक्षा राष्ट्र विकास का आधार स्तम्भ है। कोई भी राष्ट्र या समाज का बिना शिक्षा के विकास नहीं हो सकता है। भारत में गाँवों के विकास में भी शिक्षा ने काफी महत्वपुर्ण भूमिका अदा की है। शिक्षा न केवल रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता करती है। बल्कि लोगों में नई सोच एवं दिशा प्रदान करने में भी सराहनीय योगदान दे रही है जिसे ग्रामीण परिवारों का जीवन स्तर पहले के • अपेक्षा बेहतर हुआ है। किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी भारत की कुल जनसंख्या का 68.84 प्रतिशत निवास करता है। इसलिए इस क्षेत्र में शिक्षा की उपयोगिता और अधिक महत्वपुर्ण हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला शिक्षा के महत्व को निम्न प्रकार दिखाया जा सकता है।
FAQs
Q. झारखंड औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई?
Ans. 2001
Q. झारखंड में पहली बार औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई
Ans. झारखंड में पहली बार औद्योगिक नीति की घोषणा 2001 में की गई