मृदा प्रदूषण पर निबंध 2023 | Mrida Pradushan per nibandh

Mrida Pradushan: मृदा पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एवं जटिल संसाधन है, क्योंकि मृदा का निर्माण काफी जटिल तरीके से होता है. मृदा मानव जाति एवं पशु पक्षी के साथ-साथ वनस्पति के लिए प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाती है. लेकिन वर्तमान समय में अत्यधिक रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का प्रयोग, एवं औद्योगिक कचरे इत्यादि के अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा प्रदूषण हो रही है. जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मानव जाति, पशु पक्षी एवं वनस्पतियों पर पड़ रहा है.

उद्योगों से निकलने वाले कचरे, जहरीले पदार्थों एवं अन्य प्रदूषित करने वाले पदार्थों के कारण मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) का तीव्र गति से हो रहा है. वर्तमान समय में कृषि कार्य में प्रयोग किए जाने वाले जहरीले रासायनिक पदार्थों के अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा प्रदूषण तीव्र गति से से हो रहा है जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से मृदा पर पड़ रहा है, एवं  प्रतिदिन मृदा की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है.

मृदा प्रदूषण क्या है? (Mrida pradushan kya hai? )

भूमि के ऐसे परिवर्तन जिसका प्रभाव  प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी पर निवास करने वाले मनुष्य, जीव-जंतु एवं वनस्पति इत्यादि पर पड़े उसे मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) कहते हैं. भूमि का प्रभाव रसायनिक, भौतिक एवं जैविक गुणों के आधार पर भी परिवर्तन लाकर भूमि की गुणवत्ता एवं उपयोगिता को नष्ट करके मृदा प्रदूषण प्रभाव डालता है.

मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर कार्यरत औद्योगीकरण एवं नगरीकरण तथा बढ़ती हुई जनसंख्या एवं अपशिष्ट पदार्थ मृदा प्रदूषण को बढ़ावा देने महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

आज दिन प्रतिदिन तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही हैं जिसके कारण उद्योगों का विकास, एवं कृषि में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायनिक पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित करने एवं प्रदूषण को बढ़ावा देने में इन पदार्थों का योगदान अत्यधिक रहा है.

मृदा प्रदूषण के  कारण

मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) की निम्नलिखित कारण है-

  1. मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) का मुख्य कारण कारखानों से निकलने वाली जहरीली पदार्थ  बरसात के दिनों में नदी, नालियों के द्वारा मृदा तक पहुंच जाती हैं. और धीरे-धीरे यह आहार श्रृंखला के द्वारा मनुष्य के शरीर तक पहुंच जाती है. जिसके कारण स्वस्थ मनुष्य का शरीर धीरे-धीरे बीमार होने लगता है.
  2. मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों एवं रासायनिक पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा तीव्र गति से प्रदूषित हो रही है
  3. वर्तमान समय में कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के कारण मृदा प्रदूषण तीव्र गति से बड़ा है. 
  4. कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैस के कारण भी मृदा प्रदूषण तीव्र गति से बढ़ रही है क्योंकि कारखानों की जहरीली गैस निकलकर वायुमंडल में फैल जाती है, और अम्लीय वर्षा के रूप में पुनः पृथ्वी पर आकर मृदा को प्रदूषित करती है.
  5. विश्व में रेडियोधर्मी परीक्षणों का अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. चुकी वर्तमान समय में अधिकांश परमाणु परीक्षण  पृथ्वी की सतह पर किए जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप मृदा प्रदूषण तीव्र गति से बढ़ रहा है.
  6. खनन प्रभावित क्षेत्रों में खनिजों का अत्यधिक खनन के कारण मृदा प्रदूषण बढा है चुकि जब आसपास के इलाकों में खनन किया जाता है तो इससे निकलने वाले डस्ट के कारण मृदा प्रदूषण भी तीव्र गति से होती है.
  7. वर्तमान समय में प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा प्रदूषण तीव्र गति से हो रही है.
  8. वर्तमान समय में जंगलों का अंधाधुंध कटाई मृदा प्रदूषण को बढ़ावा दे रही हैं.
  9. सरकार की और असफल योजनाएं भी मृदा प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है. इसके साथ साथ सरकार  द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से ना किया जाना भी मृदा प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है.

मृदा प्रदूषण का प्रभाव (Mrida Pradushan ka prabhav)

वर्तमान समय में मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) का प्रभाव निम्नलिखित है

  1. मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) से मिट्टी में उपजाऊ की क्षमता खत्म हो जाती है.
  2. मृदा प्रदूषण से मृदा में उपजाऊ की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है.
  3. कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकओं का अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा प्रदूषण की गुणवत्ता धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.
  4. मृदा प्रदूषण के कारण मृदा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, लोहा एवं बोरान इत्यादि खनिज तत्वों की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जा रही है, जिसके कारण मृदा में  उपजाऊ की क्षमता कम होती जा रही है.
  5. मृदा प्रदूषण से खाद्य पदार्थ भी प्रदूषित हो रही है जिसका उपभोग करने वाले व्यक्ति पर भी इसका असर पड़ रहा है.
  6. मृदा प्रदूषण के कारण वर्तमान समय में फसलों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ रहा है.
  7. मृदा प्रदूषण से धीरे-धीरे मृदा की गुणवत्ता समाप्त होती जा रही है.
  8. मृदा प्रदूषण के कारण मृदा में पाए जाने वाले केंचुआ की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है.
  9. मृदा प्रदूषण के कारण किसानों की आय प्रतिदिन घटती जा रही है.

मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने का उपाय

मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) के कारण होने वाले नुकसान से निजात पाने के लिए प्रदूषित हो रही मिट्टी को बचाना अति आवश्यक है. मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय निम्नलिखित हैं.

  1. किसानों को  रसायनिक उर्वरक की जगह जैविक उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग करना चाहिए।
  2. किसानों को रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक उर्वरक जैसे पशुओं की अपशिष्ट मल मूत्र को कंपोस्ट खाद में बदलकर कृषि कार्य में प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे मृदा प्रदूषण को कम किया जा सके.
  3. किसानों को कृषि कार्य में कीटनाशकों का प्रयोग कम करके मृदा प्रदूषण को बचाया जा सकता है.
  4. किसानों को कृषि कार्य में नवीकरणीय उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।
  5. वैज्ञानिकों को मृदा प्रदूषित होने से रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुसंधान कार्य को प्रसार एवं प्राथमिकता देना चाहिए।
  6. वनों की अत्यधिक कटाई को कम कर मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है.
  7. पशुओं के द्वारा भूमिगत अत्यधिक पशु चारण को नियंत्रित कर मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है.
  8. मृदा प्रदूषण को कम करने के लिए समय समय पर जागरूकता फैलाना चाहिए।
  9. मृदा प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार को पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता के द्वारा मृदा प्रदूषण को कम किया जा सकता है.
  10. मृदा का अत्यधिक क्षरण को भी रोक कर मृदा प्रदूषण को कम किया जा सकता है.

निष्कर्ष

वर्तमान समय में विश्व में मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है मृदा प्रदूषण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान तीव्र गति से उद्योगों द्वारा निष्कासित रसायनिक पदार्थ एवं जंगलों का अंधाधुंध कटाई है. इसके अलावा मृदा प्रदूषण को बढ़ावा देने में किसानों के द्वारा कृषि कार्य में प्रयोग किए जाने वाले रसायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकओं का अत्यधिक प्रयोग मृदा प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है. जिसे समय पर  मृदा प्रदूषण नियंत्रित कर मृदा प्रदूषण को नियंत्रण किया जा सकता है. क्योंकि वर्तमान समय में किसी भी देश के आर्थिक विकास में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण होता है और जिस देश की मृदा प्रदूषण है वहां कृषि कार्य का उत्पादन भी न्यूनतम होगी जिसका परिणाम अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) का प्रभाव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. अतः भविष्य में किसी भी देश के लिए मृदा प्रदूषण एक चुनौतीपूर्ण समस्या है जिसका समाधान करना अति आवश्यक है. क्योंकि प्रदूषित मृदा को सही करने में वर्षों  समय लग जाते हैं. इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की या जिमेवारी होनी चाहिए कि मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए जितनी भी संभव कार्य हो सके उसे अपनाना चाहिए।

FAQs

Q. मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय कौन-कौन से हैं?

Ans. रसायनिक उर्वरक का कम प्रयोग करना
 वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना
 उद्योगों से निकलने वाले रसायन पदार्थों का निष्पादन करना
 कृषि कार्य में जैविक उर्वरक को बढ़ावा देना

Q. मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं?

Ans. भूमि के ऐसे परिवर्तन जिसका प्रभाव  प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी पर निवास करने वाले मनुष्य, जीव-जंतु एवं वनस्पति इत्यादि पर पड़े उसे मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) कहते हैं.

Q.  मृदा प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

Ans. मृदा प्रदूषण पर निबंध लिखना काफी सरल है.

Q. मृदा प्रदूषण का कारण क्या है?

Ans. मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले रासायनिक पदार्थ एवं कृषि कार्य में  कीटनाशकों का प्रयोग।

Q. भूमि प्रदूषण का मुख्य प्रभाव क्या है?

Ans. भूमि प्रदूषण का मुख्य प्रभाव  प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से आहार श्रृंखला के द्वारा मनुष्य, जीव जंतु एवं वनस्पति इत्यादि पर पड़ता है.

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